शाश्वत सत्यानुसंधान हेतु उत्तर-प्रदेश का यह अंचल गुरु गोरक्षनाथ, महात्मा बुद्ध एवं संत कबीर के आध्यात्मिक तपस से प्रज्वलित होता रहा है | मध्य गंगा , घाटी के सरयुपर मैदान के पूर्वी भाग में पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के ताराई क्षेत्र के मध्य में ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टी से उर्वर यह भू-भाग ताल तलैया एवं वनाच्छादन के बिच माँ लेहडा देवी की गोंद में उपस्थित है | यह लाल बहादुर शास्त्री स्मारक पी. जी. कालेज न केवल परिक्षेत्र के तरुणों वरन अन्यान्य दुसरे दुसरे क्षेत्रो के ज्ञान पिपासुओं की क्षुधा शांत करते हुए कला वर्ग, विज्ञानं वर्ग के साथ ही साथ शिक्षक-शिक्षा में स्नातक व् प्राणी विज्ञानं तथा समाजशास्त्र स्नातकोत्तर योग्य नागरिकों को तैयार करने में अपना सतत योग दे रहा है | वस्तुतः यह माहविद्यालय 18 फरवरी 1940 को पंडित जवाहर लाल नेहरु के इस उद्घोष का प्रतीक है | जिसमे उन्होंने गरीबी और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए स्वंय महराजगंज आकर उच्च शिक्षा की ओर उन्मुख होने की बात की थी | शिक्षा से ही मानव का सर्वांगीण विकास सम्भव है| इसे अंगीकार करते हुए प्रोo शिब्बन लाल सक्सेना ने 20 अगस्त 1973 को इस महाविद्यालय की मान्यता दिलायी| महाविद्यालय का शिलान्याश प्रोo शिब्बन लाल सक्सेना ने अपने अनन्य मित्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वo लाल बहादुर शाश्त्री की स्मृति में किया था | अपने जीवन के अंतिम क्षण तक इस महाविद्यालय में विज्ञानं की कक्षाएं संचालित करने हेतु प्रोo शिब्बन लाल सक्सेना प्रयासरत रहे| विज्ञानं भवन का शिलान्याश पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी के क्र कमलों द्वारा संपन्न हुआ था | पक्षाघात से पीड़ित सक्सेना जी विस्तर पकड़ लिए उनके अपनों तक ने उनका साथ छोड़ दिया | ऐसे में डॉ. बलराम भट्ट ने अपने मजबूत कंधो का न कवक सहारा दिया बल्कि उनके रुग्णावस्था व् बुढ़ापे की लाठी साबित हुए तथा डॉ. बलराम भट्ट ने मन ही मन संकल्प लिया की प्रोo शिब्बन लाल सक्सेना के अधूरे सपने को पूरा करने में अपना सर्वस्व् लगा देंगे | 20 अक्टूबर 1985 को प्रो. सक्सेना जी पंचतत्व में बिलीन हो गये , तत्पश्चात उनके उत्तराधिकारी बनकर डॉ. बलराम भट्ट अनुदित महाविद्यालय के विस्तार को आसमान की उचाई देने में कोई कोर कसार शेष नहीं रखा है | फलतः डॉ. बलराम भट्ट जी ने जुलाई 1997 में बी0 एस0 सी0(गणित व् बायो) सत्र 2006-07 में एम्0 एस0 सी0(प्राणी बिज्ञान ) एम्0ए0 (समाजशास्त्र ) की मान्यता दिलाई और तब से अब तक अनेकानेक शैक्षिक उपलब्धियां व् मानक स्थापित करने व् करने में डॉ. साहब के कुशल प्रबंधन का महत्वपूर्ण योग है| सत्र 2007-08 में इस परिक्षेत्र के राष्ट्रिय व् प्रादेशिक स्तर पर पहचान दिलाने हेतु कृत संकल्प डॉ. बालरं भट्ट जी ने अत्यंत प्रतिष्ठित पाठयक्रम बी0 एड0 की मान्यता दिला महाविद्यालय की यश कीर्ति में चार चाँद लगाने का कार्य किया | महाविद्यालय के सभी संकाय समस्त संसाधनों से परिपूर्ण , योग्य शिक्षक गण व् कर्मचारी एवं अध्ययनशील छात्र-छात्राओं के परस्पर सहयोग एवं कुशल प्रबंधकीय व्यवस्था के अधीन नित नए मानकों को स्थापित करने के लिए तत्पर है | महाविद्यालय सड़क मार्ग गोरखपुर सोनौली मार्ग पर गोरखपुर से 40 किमी0 मुख्य मार्ग पर वनांचल में बायीं तरफ स्थित है यहाँ रेल मार्ग गोरखपुर आनन्द नगर-नौतनवा/गोंडा मार्ग पर आनन्दनगर से ठीक पहले लोहारपुरवा रेलवे स्टेशन से पंहुचा जा सकता है |